बेटी बोझ क्यों होती है
आज बेटियों का दर्द बयां करने की कोशिश कर रहा हूँ, कृप्या पूरा पढ़े ।
जैसा कि दोस्तो देखा जाता है कि हर प्रकार से बहन, बेटियों पर अत्याचार होते हैं । इसका मुख्य कारण है, दहेज और समानता का अधिकार न मिलना । इसलिए कहते हैं, बेटियां बोझ होती है और उन पर अत्याचार होते हैं । आज इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे । अपने सुझाव कमेंट में लिखें ।
1.बेटियों के जन्म लेने पर मातम क्यों ?
2. बेटा बेटी में फर्क क्यों ?
3.बेटियां बोझ कैसे बनी ?
4. दहेज प्रथा का बढ़ता प्रकोप बेटियों को क्यों निगल रहा है ?
5. क्या बेटियों को समानता नही मिलनी चाहिए ?
6.कैसे मिलेगी समाज की बेटियों को आजादी ?
बेटी बोझ क्यों?
1.बेटियों के जन्म लेने पर मातम क्यों ?
हमारी तथा हमारे समाज की गलत सोच,
बेटा हुआ तो नाम रोशन करेगा पैसे कमाएगा, वंश को आगे बढ़ाएगा ओर बुढ़ापे का सहारा बनेगा और
बेटी हुई तो कुल का नाश करेगी शादी में दहेज देना पड़ेगा, समाज में बेइज्जत करेगी । इसलिए जब बेटा जन्म लेता है तो खुशियां मनाई जाती है ओर बेटी हुई तो उसे गर्भपात करके मरवा दिया जाता है या उसे नीची नजरों से देखा जाता है ।
2. बेटा बेटी में फर्क क्यों ?
जैसा कि मैंने ऊपर बताया है, यही कारण है कि बेटे और बेटी में फर्क किया जाता है । जैसे अगर बेटी को जन्म दे भी दिया तो उसे आजादी नही दी जाती, स्कूल नही भेजा जाता और बेटा हुआ तो उसे परिवार ओर समाज का खूब प्यार मिलता है, अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण करवाई जाती है ताकि नौकरी लग जाए, वंश आगे बढ़ेगा ओर बुढ़ापे में हमारा सहारा बनेगा ओर बेटी को तो समाज में कलंक माना जाता है।
बेटी की आवाज
ना मिला बाबुल का प्यार, ना मिली ममता की छाया ।
3.बेटियां बोझ कैसे बनी ?
समाज अशिक्षित होने के कारण बेटियों पर अत्याचार शुरू किए हुए है । जैसे शिक्षा का अभाव, समाज की सोच ओर दहेज, इन कारणों से आज भी बेटियों को बोझ माना जाता है । लेकिन होता उल्टा ही है, बेटा बड़ा होने के बाद कहना नही मानता । अपने मन की करता है, गलत संगत में रहने लगता है, नशा करने लगता है, चोरी करने लगता है । सही मायने में देखा जाए तो बेटियां ही बुढ़ापे में माता पिता का सहारा बनती हैं ।
अत्याचार की कहानी, बेटी की जुबानी (कविता के माध्यम से)
माँ ! मैं तुझ से प्यार करुँगी
जीवन भर आभार करुँगी
आने दे मुझको भी जग में
माँ ! मैं भी हूँ अंश तुम्हारा
कहलाउंगी वंश तुम्हारा
आने दे मुझको भी जग में
माँ ! मत भूलो अपने वो दिन
कोख में थी तू भी तो इक दिन
आने दे मुझको भी जग में
बेटी ये कोख से बोल रही
माँ करदे मुझपे ये उपकार
मत मार मुझे,जीवन दे दे
मुझको भी देखन दे संसार
बिन मेरे माँ
तुम भईया को राखी किससे बँधवाओगी
मरती रही कोख की हर बेटी
तो बहू कहाँ से लाओगी
बेटी है बहन,बेटी दुल्हन
बेटी बिन सूना है परिवार
बेटी ये कोख से बोल रही
माँ करदे मुझपे ये उपकार
नहीं जानती मैं इस दुनिया को
मैंने तो जाना है बस तुझको
मुझे पता तुझे है फिकर मेरी
तू मार नहीं सकती मुझको
फिर क्यूँ इतनी मजबूर है यु
माँ क्यूँ है तू इतनी लाचार
मत मार मुझे,जीवन दे दे
मुझको भी देखन दे संसार
मैं बेटी हूँ,मैं बेटा नहीं
मैं तो कुदरत की रचना हूँ
तेरा मान बनूँगी,बोझ नहीं
तेरी ममता को मैं तरस रही
मत छीन तू मेरा ये अधिकार
बेटी ये कोख से बोल रही
माँ करदे मुझपे ये उपकार
गर मैं न हुई तो माँ
फिर तू किसे दिल की बात बताएगी
मतलब के इस दुनिया में माँ
तू घुट घुट के रह जायेगी
बेटी ही समझे माँ का दिल
'अंकुश' करले बेटी से प्यार
मत मार मुझे,जीवन दे दे
मुझको भी देखन दे संसार
बेटी ये कोख से बोल रही
माँ करदे मुझपे ये उपकार
मत मार मुझे,जीवन दे दे
मुझको भी देखन दे संसार।
4. दहेज प्रथा का बढ़ता प्रकोप बेटियों को क्यों निगल रहा है ?
दोस्तो दहेज के कारण भी बेटियों को ये अनमोल मनुष्य जीवन नसीब नही होता और दहेज लेने वाले और देने वाले कोई और नहीं, हमारे अपने ही होते है । एक बेटी को मरवाने में हमार सहयोग है, समाज का सहयोग है और मान लो दहेज दे भी दिया तो फिर भी दहेज लोभियों के पेट नही भरते और जला देते हैं, फाँसी लटका देते हैं ओर ये करते वक्त उन लोगो के हाथ नही कांपते । क्या ये सिलसिला ऐसे ही चलना चाहिए ? आज दूसरे की बहन को जलाया है । दहेज की मांग पूरी न करने पर कल हमारी बहन, बेटी के साथ भी ऐसा हो सकता है और होगा तो आप क्या कर सकोगे ? ऐसे बहुत मामले मैंने देखे हैं । दहेज प्रथा खत्म होनी चाहिए । अगर आप भी चाहते हैं कि दहेज प्रथा खत्म हो तो आइए एक ऐसी संस्था से जुड़िए जिसके संचालक संत रामपाल जी महाराज हैं । उन्होंने लाखो शादियां दहेज रहित आडम्बर रहित शादियां करवाई हैं ।
5. क्या बेटियों को समानता नही मिलनी चाहिए ?
हम अक्सर देखते आए हैं कि बेटियों को परिवार पर बोझ समझा जाता है । पत्नी भी किसी की बेटी है, वो किसी की माँ है । परिवार को संभालने में भी उसका बड़ा योगदान है । आज के समय में लड़कियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं । पहले लड़को को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी कि वह अपने खानदान का नाम रोशन करेगा । आजकल लड़कियाँ हर क्षेत्र में अपने माता पिता व अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं । जैसे पी. टी. उषा, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी ऐसी कई नारियाँ हैं जिन्होने अपने देश का नाम रोशन किया है । चाहे वह इंजीनियरिंग हो, डॉक्टर्स हो, एयरहोस्टेस हो, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं । आज अपने बलबूते पर कई लड़कियां बड़े बड़े मुकाम हासिल करने मे सफल रही हैं । क्या अब भी हमें लगता है कि बेटियाँ अपने परिवार व समाज पर बोझ हैं ? सरकार ने आज बहुत सारी मुहिम चला रखी हैं । उदाहरण के तौर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ । यह कितनी हद तक संभव है ? इसके लिए हमें खुद को आगे आना होगा । अपनी लाडली को हर एक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाना होगा । बेटा बेटी को एक समान समझना होगा । लड़को की तरह लडकियों के भी कुछ सपने होते हैं । उनको ऐसे ही निराश न होने दें । भगवान ने एक अनमोल रत्न बेटी के रूप में हमें दिया है । इसकी कीमत बेटे से कम ना आँके क्योंकि जब जब परिवार पर कोई संकट आया है तो बेटियों ने ही उनको पछाड़ा है । बेटियां घर का चिराग होने के नाते कभी बुझती नही हैं, हमेशा अपने परिवार का नाम रोशन करती हैं ।
हम अक्सर देखते आए हैं कि बेटियों को परिवार पर बोझ समझा जाता है । पत्नी भी किसी की बेटी है, वो किसी की माँ है । परिवार को संभालने में भी उसका बड़ा योगदान है । आज के समय में लड़कियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं । पहले लड़को को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी कि वह अपने खानदान का नाम रोशन करेगा । आजकल लड़कियाँ हर क्षेत्र में अपने माता पिता व अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं । जैसे पी. टी. उषा, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी ऐसी कई नारियाँ हैं जिन्होने अपने देश का नाम रोशन किया है । चाहे वह इंजीनियरिंग हो, डॉक्टर्स हो, एयरहोस्टेस हो, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं । आज अपने बलबूते पर कई लड़कियां बड़े बड़े मुकाम हासिल करने मे सफल रही हैं । क्या अब भी हमें लगता है कि बेटियाँ अपने परिवार व समाज पर बोझ हैं ? सरकार ने आज बहुत सारी मुहिम चला रखी हैं । उदाहरण के तौर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ । यह कितनी हद तक संभव है ? इसके लिए हमें खुद को आगे आना होगा । अपनी लाडली को हर एक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाना होगा । बेटा बेटी को एक समान समझना होगा । लड़को की तरह लडकियों के भी कुछ सपने होते हैं । उनको ऐसे ही निराश न होने दें । भगवान ने एक अनमोल रत्न बेटी के रूप में हमें दिया है । इसकी कीमत बेटे से कम ना आँके क्योंकि जब जब परिवार पर कोई संकट आया है तो बेटियों ने ही उनको पछाड़ा है । बेटियां घर का चिराग होने के नाते कभी बुझती नही हैं, हमेशा अपने परिवार का नाम रोशन करती हैं ।
6.कैसे मिलेगी समाज की बेटियों को आजादी ?
जब तक सच्चा ज्ञान नहीं हो जाता तब तक समाज की परम्पराएं, सामाजिक भेदभाव, इनसे बाहर नहीं निकल सकते ज्यादातर बेटियों को नहीं अपनाने का कारण यह है कि जब वो बड़ी होगी, उनकी शादी के लिए व दहेज के लिए पैसा जोड़ना पड़ता है ओर दहेज लोभियों के कारण बेटियों को ठुकराया जाता है । लेकिन अब ऐसा नही होगा क्योंकि
"जीने की राह" पुस्तक सभी कुरीतियों से आजादी दिलवाती है । चाहे नशा हो, चोरी हो, बीमारी हो, दहेज हो या कुछ भी हो, सबका निवारण एक ही है, पुस्तक "जीने की राह" । दोस्तो, नाम से ही पता लग रहा होगा कि यह पुस्तक मानव समाज के लिए कितनी अनमोल है । अब बिना समय गवाएं अपना नाम, पता और मोबाइल नम्बर हमें 7496801825 पर whatsapp करें ।
संत रामपाल जी महाराज का एक ही सपना।
नशा मुक्त और दहेज मुक्त हो भारत अपना ।।
Note :- इन सभी बुराइयों का त्याग करें और एक अच्छे इंसान बने ताकि आपसे हर कोई मिलना चाहे और एक बार जरूर पढ़े "जीने की राह" । इस पुस्तक ने लाखों घरों को सही दिशा दिखाई है, इसलिए "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के इस अनमोल मिशन में आप भी हमारा सहयोग करें ।
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धन्यवाद
झकास देश को ऐसे सत्य विचार कि जरुरत है
ReplyDeleteThanks
सही है भाई हमे बहन बेटीयों की इज्जत करना चाहिए ऐसी शादी मेने पहली बार देखी धन्यवाद भाई अच्छी बात बताई है
ReplyDeleteसही है भाई हमे बहन बेटीयों की इज्जत करना चाहिए ऐसी शादी मेने पहली बार देखी है भाई अच्छी बात बताई है जी दहेज प्रथा को खत्म करने की बात को लेकर काफी समय से चल रही थीं लेकिन अब संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को आधार मान करके दहेज प्रथा को खत्म किया जा सकता है जी
ReplyDeleteबिल्कुल सही हे जी एसी सादी मेने भी कभी नही दैखी ना लेनदेन बेंड बाजे ना हि कोई रितीरीवाज बिल्कुल साधारण तरीके से होती हे
ReplyDeleteRight
ReplyDeleteDesh ko badlav ki jarurat hai Guruji ka mission zaroor pura hoga Ek Din zaroor pura hoga Hamare samaj mein Bal Vivah balatkar Dahej Pratha zaroor Khatam Hogi
ReplyDeleteSave girl child.
ReplyDeleteइतना बड़ा महान कार्य जगत गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज की दया से ही हो सकता है, सत साहेब।
ReplyDeletePuran Braham Satguru Rampal ji Maharaj ki Jai
ReplyDeleteYes , every one should save girl child.Both have equal right to live,study and to lead happy life.Thanx to Sant Rampàl ji whose efforts are tremendous in making parents realise the worth of a girl child.
ReplyDeleteNice blog..👍👍👍
ReplyDeleteNice....sahi baat he deti or dete me bhedbhav nhi krna chahiye beti ko bhi adhikar milna chahiye.....
ReplyDeleteGreat blog
ReplyDeleteयह शुभ और महान कार्य केवल सँत रामपाल जी महाराज ही कर सकते हैं।
ReplyDeleteपूरे विश्व में समाज का धरना यह बना हुआ है कि हम अपनी बेटी को जितना दे दहेज देंगे उतना सुखी रहेगी लेकिन यह सरासर गलत है आज तक हम लोगों ने देखा है कि बॉलीवुड हॉलीवुड के जितने भी बड़े बड़े स्टार हैं जिनकी शादियों में लाखों करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं फिर भी तलाक दे देते हैं जान से मार देते हैं इसलिए चाहे बॉलीवुड हॉलीवुड हो प्रधानमंत्री हो मुख्यमंत्री हो सब से विनम्र प्रार्थना है कि केवल संत रामपाल जी महाराज जी का ही सत्संग देखें और अपने जीवन को बुराइयों से दूर करें पूरे ब्रह्मांड में आज केवल संत रामपाल जी महाराज ऐसे सतगुरु हैं जिन्होंने शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताई है अधिक जानकारी के लिए देखे साधना चैनल शाम को 7:30 से 8:30 तक
ReplyDeleteआज के समय में भी कई लोगों को बेटों की ही चाह ज्यादा होती है ये नहीं देखते कि बेटियाँ भी बेटों से कम नहीं हर फील्ड में बेटियों ने भी ऊँचे मुकाम पर पहुंच कर नाम रोशन किया है बेटा बेटी को एक समान समझना चाहिए
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteNice bro
ReplyDeleteबेटियां बोझ नही है।
ReplyDeleteCompletely Right
ReplyDeleteSuper
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